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प्यार मोहब्बत के गजब्बे रीत

प्यार मोहब्बत के गजब्बे रीत होइखे, अरे, कोनू के होइखे, कोनू के नइखे। अरे, एक्के कहानी बा नया कुछो नइखे, जेहने शतरूपा-मनु ओहने जोड़ा नयको। प्यार मोहब्बत के गजब्बे रीत... अरे, किस्सा बा पूरा इमोशनल ड्रामा, कोनू कहे भरम, कोनू कहे नइखे। प्यार मोहब्बत के गजब्बे रीत... कहल जा ल रउआ असगरे बार काफी, तइओ काहे मचल बा जिया में आपा-धापी प्यार मोहब्बत के गजब्बे रीत... झगड़ा बाजल बा, आ बाते कुछो नइखे, हम कहली खतम कर कुछ लई-दई के, सुनते इ कहलन उ, इ पुलिस चौकी नइखे। प्यार मोहब्बत के गजब्बे रीत... - ज्ञानेश P.S: This song is written to emphasise that beautiful and clean songs can be written in Bihari dialects like Bhojpuri, Vajjika, Magahi, and Angika (not naming Maithili as it is a complete language in many terms such as script and grammar according to my limited understanding about dialects and languages).

अनभिज्ञ

अनभिज्ञ  कुछ है कि जिसकी मुझे तलाश है। डर है कि कहीं उसकी मृत्यु न हो गई हो। डरता हूँ कि कहीं उसका स्वरूप भी मैंने विस्मृत न कर दिया हो। कि उसके स्वरूप से भी कभी मैं परिचित था, इस बात से मैं अनभिज्ञ हूँ।

मनोवेग

मनोवेग   अपनी भावनाओं को वास्पिकृत करके बादल बनाया है, तुम्हारी यादों की हवाओं से बादलों को दिशा दिया है। इस वर्षा से तुम्हारा मन यदि आद्र हो, तो सूचित करना। सुना है, बादलों का स्खलन किसी ऊँचे पर्वत पर हुआ है, आर्द्रता तुम तक किसी हिमनद से निकले जलप्रपात के रूप में आए तो भ्रमित मत होना। -----ज्ञानेश

बुरा और बहुत बुरा

इंसान का मरना बुरा होता है, पर बहुत बुरा होता है, उसके आदर्शों का मर जाना। आदर्शों का मरना बुरा होता है, पर बहुत बुरा होता है, विडंबनाओं के स्वीकार्यता का बढना। विडंबनाओं के स्वीकार्यता का बढना बुरा होता है, पर बहुत बुरा होता है, नकारात्मकता का स्वीकार्य होना। नकारात्मकता का स्वीकार्य होना बुरा होता है, पर बहुत बुरा होता है, उसके सकारात्मक होने का ढोंग करना। उसके सकारात्मक होने का ढोंग करना बुरा होता है, पर बहुत बुरा होता है, इस ढोंग की पुरजोर वकालत करना। इस ढोंग की पुरजोर वकालत करना बुरा होता है, पर बहुत बुरा होता है, इन सब बातों से अनभिज्ञ रहना। Rough Translation for my non-Hindi speaking friends: Death of a person is unfortunate, But something more unfortunate Is the demise of that person's ideals. Demise of Ideals is unfortunate, But something more unfortunate Is the increasing acceptance of ironies. Increasing acceptance of ironies is unfortunate, But something more unfortunate Is the acceptance of negativity. Acceptance of negativity is unfortunate, But something mo

शायद

तुम्हारी खामोशी में कितना शोर है, मेरी पुकार भी तुम तक पहुंच नहीं पा रही। तुम्हारे इरादे के किवाड़ में कितना जोर है, मेरी अथक कवायद भी इसे खोल नही पा रही। लेकिन मेरी धड़कनों में ये कैसी होर है, तुम्हारे आए किसी ख़त की आहट है शायद। ये 'शायद' भी कितना बेजोड़ है, इसमे बसता हर समस्या का तोड़ है।

सहज मन

  तुम्हारे डर की वजह लाजमी है, आओ उस वजह को बड़ी वजह के नीचे दफ़्न कर दें।  बड़ी वजह खुद के होने के सार्थकता से आएगी, आओ उस डर को दिवास्वप्न कर दें।  मन को सहज बनाते हैं, आओ व्यर्थ विचारों का दमन कर दें।

Missing You

  MISSING YOU There is not enough water in the ocean, There is not enough air in the atmosphere, There are not enough stars in the skies, There are not enough cells in my body, There are not enough thoughts in a restless mind, There is not enough pull in a black hole, Is how much I miss you right now, And maybe that's not enough either.

निर्विकार भाव

निर्विकार भाव   इस तल्लीनता से जो तुम इंतजार किए जाते हो, ऐसा क्या है कि निष्फिक्रता से ज़ाया हुए जाते हो। बेचैनी भरे जीवन में चैन की सांस लिए जाते हो। निश्चिंत मुस्कान लिए भरी दोपहरी छाया किए जाते हो। किस ज्योत्सना से मन को सिंचित किए जाते हो, कुछ बात है कि निःमाया हुए जाते हो।                                                   --------ज्ञानेश

That Feeling

That Feeling When Mysteries of Universe seem mundane, When Environmental Crisis seem trivial, When Philosophies of Life become routine, When Social Norms seem unreal, When Economic Matters become obscene, When Daily Routines seem like an ordeal, When Casual Talk seems uninterestin', When Every Government seems like a bad deal, When One Person induces in you 'xtra serotonin, That Feeling...In its throes, we've all been. ---GYANESH

लम्हा-ए-उम्र

 उम्मीद उम्र की करते हैं, काम लम्हों से चला लेते हैं। तमाम कोशिशों के बाद, हाथ में आए लम्हे को उम्र भर जीते हैं। लम्हों और उम्र का भी अजीब रिश्ता है, कभी एक उम्र भी लम्हा लगता है, कभी एक लम्हा भी उम्र।