मन

मन

तमस कब छंटेगा, उजाले की एक लौ भर चाहिए।
उलझनों का ये दौर कब हटेगा, मन के क्षितिज पे पौ फटना चाहिए।

Comments

Abhay said…
Ek number bhai 👌👌👌

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